करतारपुर कॉरिडोर; अगस्त 1947 में जो चूक हुई थी ये उसका प्रायश्चित : प्रधानमंत्री
भारत के पास जो संस्कृति और ज्ञान की विरासत है उसको दुनिया के चप्पे चप्पे तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. गुरु गोबिंद सिंह जी का काव्य भारतीय संस्कृति के ताने-बाने और हमारे जीवन की सरल अभिव्यक्ति है. जैसे उनका व्यक्तित्व बहुआयामी था वैसे ही उनका काव्य भी अनेक और विविध विषयों को अपने अंदर समाहित किये हुए है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली में गुरु गोविंद सिंह की याद में स्मारक सिक्का जारी करने के बाद बोल रहे थे. स्मारक सिक्का जारी करने के मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी उनके साथ मौजूद थे. मोदी ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी का सिक्का सैंकड़ों सालों से हमारे दिलों पर चल रहा है. उन्होंने खालसा पंथ के जरिए पूरे देश को जोड़ने की कोशिश की थी.
मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार के अथक प्रयासों से करतारपुर कॉरिडोर बनने जा रहा है, अब गुरु नानक के मार्ग पर चलने वाला हर भारतीय दूरबीन के बजाए अपनी आँखों से गुरुद्वारा दरबार साहिब के दर्शन बिना वीजा के कर पाएगा. यह सेवा गुरुनानक देव की 550 की जयंती पर शुरू होगी. अगस्त 1947 में जो चूक हो गयी थी ये उसका प्रायश्चित है. हमारे गुरू का सबसे महत्वपूर्ण स्थल सिर्फ कुछ किलोमीटर दूर था लेकिन उसे भी अपने साथ नहीं लिया गया, ये कॉरिडोर उस नुकसान को कम करने का प्रमाणिक प्रमाण है.
उन्होंने कहा कि भारत के पास जो संस्कृति और ज्ञान की विरासत है उसको दुनिया के चप्पे चप्पे तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. गुरु गोबिंद सिंह जी का काव्य भारतीय संस्कृति के ताने-बाने और हमारे जीवन की सरल अभिव्यक्ति है. जैसे उनका व्यक्तित्व बहुआयामी था, वैसे ही उनका काव्य भी अनेक और विविध विषयों को अपने अंदर समाहित किये हुए है.
इससे पहले PM मोदी 5 जनवरी 2017 को पटना में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज की 350 वीं जयंती समारोह में शामिल हुए थे. उन्होंने उस अवसर पर भी एक स्मारक डाक टिकट जारी किया था. उस समय अपने संबोधन में PM ने कहा था कि गुरु गोविंद सिंहजी ने खालसा पंथ और भारत के विभिन्न क्षेत्रों से पांच पंचप्यारों के माध्यम से देश को एकजुट करने का एक अनूठा प्रयास किया था.