मगरमच्छ संरक्षण केंद्र व इको टूरिज्म बनेगा करकटगढ़ : नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि कैमूर के करकटगढ़ को मगरमच्छ संरक्षण केंद्र व इको टूरिज्म के रूप में विकसित किया जायेगा.
मुख्यमंत्री ने चैनपुर प्रखंड के करकटगढ़ के जलप्रपात स्थल का चारों तरफ से अवलोकन करने के बाद वन विभाग को इस दिशा में कार्य योजना बनाने का निर्देश दिया. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि मुंडेश्वरी धाम से करकटगढ़ को जोड़ने के लिए लिंक पथ निकालें, ताकि पर्यटक यहां आसानी से पहूँच सकें.
मुख्यमंत्री ने इको टूरिज्म के लिए करकटगढ़ को अंडरफुल प्लेस बताते हुए कहा कि यहां का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भूत है. उन्होंने नदियों के उद्गम स्थल को देखने एक बार पुनः आने की बात करते हुए अधिकारियों को जलप्रपात से कुछ दूरी पर स्थित खाली मैदान की घेराबंदी कराने का निर्देश भी दिया. ताकि खाईं में किसी के गिरने का डर नहीं रहे. मुख्यमंत्री ने सर्किट हाउस के बगल में स्थित नदी का भी मुआयना किया. उन्होंने अधौरा के सारोदाग स्थित उस स्थल पर जाने की इच्छा भी जतायी जहां से करकटगढ़ में पानी आ रहा है. संभावना जतायी जा रही है कि फरवरी में पुनः मुख्यमंत्री वहाँ जा सकते हैं.
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह जल पशु एवं जल पंक्षी का सर्वे कराएं और यह अंकित करें कि इस जलप्रपात के पास उनके आने-जाने का समय क्या है? उन्होंने कहा कि करकटगढ़ में मगरमच्छ संरक्षण केंद्र व इको टूरिज्म बनने से यहां आनेवाले पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी. प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. डीके शुक्ला व मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी भारत ज्योति को इस संबंध में अविलम्ब प्लान तैयार करने का निर्देश भी दिया.
मुख्यमंत्री ने कैमूर में बननेवाले टाइगर रिजर्व जोन व पंक्षी आश्रय स्थली के बारे में वन विभाग के अधिकारियों से जानकारी लेते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि इको टूरिज्म वन विभाग के जिम्मे रहे और इसके अंदर एक विंग बने, जो इको टूरिज्म को देखे. क्योंकि पर्यटन विभाग के जिम्मे इको टूरिज्म का कार्य रहने से वैधानिक परेशानी आ रही है.
कैमूर में इको टूरिज्म को बढ़ावा देना एक सार्थक पहल है, क्योंकि कैमूर के जलाशयों में 25-30 मगरमच्छ बताये जाते हैं. कर्मनाशा नदी पर कैमूर वन्य प्राणी क्षेत्र में करकटगढ़ जलप्रपात है, इस बारहमासी जलप्रपात में मगरमच्छ की संख्या लगातार बढ़ रही है. भभुआ से 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित इस जलप्रपात की उंचाई करीब 35 मीटर है. इसका श्रोत अधौरा प्रक्षेत्र के सारोदाग स्थित एक वट वृक्ष है.