कन्फर्म बुकिंग के बाद भी नहीं पहुंची कैब, ओला को लगा जुर्माना
कन्ज्यूमर फोरम भोपाल के अध्यक्ष आरके भावे और सदस्य सुनील श्रीवास्तव ने ओला कैब के कारण ट्रेन छूटने पर कंपनी को ई-टिकट का किराया, हर्जाना और परिवाद व्यय देने का आदेश दिया.
न्यू मिनाल रेसीडेंसी भोपाल के शिवम रघुवंशी को अपने भाई के साथ भोपाल से करेली जाना था. उन्होंने 27 अगस्त 2015 को हबीबगंज से जबलपुर तक ट्रेन की टिकट ली. ट्रेन सुबह 5.30 बजे हबीबगंज से रवाना होती है. उन्होंने 27 अगस्त 2015 को न्यू मिनाल से हबीबगंज स्टेशन जाने के लिए तड़के 4.45 बजे की कैब बुक कराई, इसके बाद उनके पास ड्राइवर का नाम अभिषेक मालवीय, गाड़ी नंबर इंडिगो एमपी 17 टीए 2230 और ड्राइवर का कॉन्टैक्ट नंबर वाला एक मैसेज पहुंचा.
पिकअप टाइम 4.45 बजे के पहले 4.30 बजे एक मैसेज फिर आया कि 10 मिनट में वाहन पहुंच रहा है. जब 5 बजे तक कैब नहीं पहुंची तो उन्होंने ड्राइवर को फोन लगाया, उसने बताया कि वह रास्ते में है 10 मिनट में पहुंच जाएगा. कुछ देर और इंतजार के बाद ड्राइवर को फिर फोन लगाया तो पता चला कि वह लालघाटी पर था. ड्राइवर का तब कहना था कि उसे पहुंचने में एक घंटा लगेगा. ओला कैब के नहीं पहुंचने से उनलोगों की ट्रेन छूट गई.
इसके बाद 4 सितंबर 2015 को शिवम ने ओला कैब प्रबंधक भोपाल और सीईओ ओला कैब मुंबई के खिलाफ परिवाद दायर किया. ओला कैब कंपनी की ओर से फोरम में तर्क दिया गया कि वह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के आधार पर व्यवसाय करते हैं और सॉफ्टवेयर के माध्यम से बुकिंग करते हैं. उन्होंने स्वीकार किया शिवम रघुवंशी ने ओला कैब बुक की थी. उन्हें बता दिया गया था कि वाहन 12 मिनट लेट पहुंचेगा. यह सूचना मैसेज के माध्यम से दी गयी थी, इसलिए कंपनी ने सेवा में कोई भी कमी नहीं की है.
फोरम का कहना रहा कि ओला कैब का सॉफ्टवेयर और जीपीएस सिस्टम है. कंपनी यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकती कि उपभोक्ता को मैसेज के माध्यम से डिटेल उपलब्ध करा दी गयी थी. ड्राइवर के नहीं पहुंचने के कारण उपभोक्ता की ट्रेन छूट गई. फोरम ने ओला कैब के कारण ट्रेन छूटने पर कंपनी को ई-टिकट का किराया 835 रुपए, पांच हजार रुपए हर्जाना और 3 हजार रुपए परिवाद व्यय कुल 8835 रुपए देने का आदेश दिया.