एशिया का दूसरा और देश का सबसे लंबा रेल-सड़क पुल राष्ट्र को समर्पित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिवंगत प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की वर्षगांठ के अवसर पर देश के सबसे लंबे रेल सह सड़क बोगीबील पुल का शुभारंभ किया. आज का दिन केंद्र सरकार द्वारा सुशासन दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.
पुल का उद्घाटन करने के बाद मोदी ने कहा कि यह ब्रिज 2007-08 में ही बन जाता पर दुर्भाग्यवश 2004 में अटलजी की सरकार को दोबारा मौका नहीं मिला और उनकी सरकार जाने के बाद कई अन्य प्रोजेक्टों की तरह यह भी अटक गया. 2014 में सरकार बनने के बाद हमने सारी बाधाओं को दूर कर इसे गति दी. आज यहां के लोगों के चेहरों पर खुशी देखकर अटलजी की आत्मा को खुशी मिलेगी.
एशिया के दूसरे सबसे लंबे रेल-सड़क पुल बोगीबील का जीवन कम से कम 120 वर्ष है. ब्रह्मपुत्र नदी पर बने 4.9 किलोमीटर लंबा पुल देश का पहला पूर्णरूप से जुड़ा पुल है, जिसका रखरखाव काफी सस्ता होता है. पुल निर्माण में 5,900 करोड़ रुपए का खर्च आया है. इस डबल-डेकर पुल के ऊपरी तल पर तीन लेन की सड़क और नीचे वाले तल पर दो ट्रैक बनाए गए हैं. पुल का निर्माण इतना मजबूत है कि इस पर से मिलिट्री टैंक भी जा सकेंगे. पुल को बनाने में 30 लाख बोरी सीमेंट और 12,250 मीटर लोहे का इस्तेमाल हुआ है.
1985 में असम समझौते में ब्रिज का वादा किया गया था, 1997 में ब्रिज निर्माण को मंजूरी मिली और तत्कालीन PM एचडी देवगौड़ा ने 1997 में शिलान्यास किया. वाजपेयी सरकार ने 2002 में निर्माण शुरू कराया और इसका निर्माण 2009 में ही पूरा होना था. विगत सोलह वर्षों में पुल के पूरा होने की कई डेडलाइन तय हुई, अंततः तीन दिसंबर को इस पुल पर से पहली मालगाड़ी गुजरी. पुल इतना मजबूत बनाया गया है कि इस पर से मिलिट्री टैंक भी गुजर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर लड़ाकू विमान भी लैंड कर सकते हैं.
करीब चार हजार किमी लंबी भारत-चीन सीमा के पास अरुणाचल से सटी सीमा तक विकास परियोजना के तहत बनाया गया यह पुल और रेल सेवा धेमाजी के लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण होने जा रही है, क्योंकि मुख्य अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और हवाई अड्डा डिब्रूगढ़ में हैं. इससे ईटानगर के लोगों को भी लाभ मिलेगा, क्योंकि यह इलाका नाहरलगुन से केवल 15 किलोमीटर की दूरी पर है. असम के डिब्रूगढ़ से अरुणाचल के धेमाजी जिले को जोड़ेगा, जिससे इनके बीच की दूरी 700 किलोमीटर घटकर मात्र करीब 180 किलोमीटर रह जाएगी और सफर में लगने वाला वक्त भी 19 घंटे कम हो जायेगा. असम के तिनसुकिया से अरुणाचल प्रदेश के नाहरलगुन तक की रेलयात्रा में भी 10 घंटे से अधिक की कमी आएगी.