देश भर के राम भक्तों को भारतीय रेल की तरफ से एक और तोहफा दिया जा रहा है. 1964 के समुद्री तूफान में बह गए धनुषकोडी रेल लाइन को भारतीय रेल ने फिर से बनाने की मंजूरी दे दी है. यह रेल लाइन रामेश्वरम से धनुषकोडी तक 18 किलोमीटर तक फैली हुई थी, लेकिन 1964 के तूफान में यह लाइन बह गई थी. इस तूफान में एक ट्रेन भी बह गई थी और सैकड़ों लोग मारे गए थे.
धनुषकोडी में ही राम सेतु (एडम्स ब्रिज़) का एक छोर है जो श्रीलंका तक फैला हुआ है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काशी और रामेश्वरम के बाद धनुषकोडी में डुबकी लगाने के बाद ही पवित्र स्नान पूरा होता है.
यही नहीं रेल मंत्रालय ने 104 साल पूरे कर चुके पम्बन ब्रिज के समानांतर भी एक नए पुल के निर्माण की मंजूरी दी है. यह पुल समुंदर के ऊपर मंडपम से रामेश्वरम के बीच मौजूद है. मौजूदा पम्बन ब्रिज 146 स्पैन का बना हुआ है और इसका 114वां स्पैन बड़े जहाज़ों को पार कराने के लिए पंख की तरह खुल जाता है. लेकिन 250 करोड़ रुपये से बन रहे पम्बन ब्रिज को दुनिया की आधुनिकतम तकनीक से बनाया जाएगा. इसमें जहाज़ों को पार कराने के लिए पहली बार वर्टीकल लिफ्ट स्पैन लगा होगा. साथ ही इसमें भविष्य के लिए दो रेल लाइन और इलेक्ट्रिफिकेशन को ध्यान में रखा जाएगा.
नए ब्रिज को पुराने ब्रिज से 3 मीटर ज्यादा ऊंचाई पर बनाया जायेगा ताकि हाई टाइड के समय इसपर पानी न आ सके. इस ब्रिज पर स्टेनलेस स्टील की पटरियां भी बिछाई जाएंगीं जो भारत में पहली बार होगा. मौजूदा पम्बन ब्रिज 24 फरवरी 1914 को शुरू हुआ था और अब यह 100 से ज्यादा पुराना हो चुका है इसलिए रेलवे के लिए इसकी जगह पर एक नया पुल बनाना जरूरी है.