पाकिस्तान आतंकवाद से मुकाबला नहीं कर पा रहा तो भारत मदद को तैयार : राजनाथ सिंह
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान से कहा कि अगर वो अपने दमखम पर आतंकवाद का मुकाबला नहीं कर पा रहा है तो भारत की मदद ले सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि देश से नक्सलवाद अगले पांच साल में खत्म हो जाएगा.
राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान जयपुर आये केंद्रीय गृहमंत्री ने ने कहा कि- ”मैं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूँ कि अगर अफगानिस्तान में अमेरिका का सहयोग लेकर तालिबान के खिलाफ लड़ाई हो सकती है तो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई क्यों नहीं हो सकती? पाकिस्तान को अगर लगता है कि वह अकेले अपने दमखम पर आतंकवाद का मुकाबला नहीं कर सकता तो अपने पड़ोसी देश भारत से वह सहयोग ले सकता है.
पाकिस्तानी PM के कश्मीर संबंधी बयान पर सिंह ने कहा कि- ‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को यह संदेश देना चाहता हूँ कि मुद्दा कश्मीर नहीं है. कश्मीर तो भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा. मुद्दा है तो आतंकवाद और अगर आतंकवाद पर पाकिस्तान बात करना चाहता है तो बात हो सकती है.
गृहमंत्री ने कहा कि मैं यह दावा नहीं करना चाहता कि आतंकवाद समाप्त हो गया हैं लेकिन साढ़े चार साल में देश में आतंकवाद की कोई बड़ी वारदात नहीं हुई है. यह केवल कश्मीर में सिमट गया है और वहां भी हालात सुधर रहे हैं. आतंकवाद का जहां तक सवाल है, इसमें कोई दो मत नहीं है कि यह सबकुछ पाक प्रायोजित है.
गृहमंत्री ने कहा कि देश और देश की सीमाएं सुरक्षित हैं, आतंकवाद में कमी आई है और नक्सलवाद अगले कुछ साल में खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि मैं कह सकता हूं कि देश सुरक्षित है. जनता को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं, देश का मस्तक ऊंचा रहेगा.
सिंह ने कहा कि बीते चार साल में पहले की तुलना में नक्सलवाद में 50-60 प्रतिशत की कमी आई है. 90 जिलों का नक्सलवाद आठ नौ जिलों में सिमट कर रह गया है. तीन से पांच साल में यह नक्सलवाद समाप्त हो जाएगा.
सिंह ने राफेल डील पर जेपीसी गठित करने की कांग्रेसी मांग को खारिज करते हुए कहा कि अब, जब कांग्रेस यह मामला सुप्रीम कोर्ट में ले गई है, तो उसी के जजमेंट का इंतजार करना चाहिए. कांग्रेस ने देश की राजनीति में विश्वास का संकट पैदा किया है. उसके लिए मंदिर और गाय चुनावी मुद्दा हो सकता है, लेकिन हमारे लिए यह कोई चुनावी स्टंट नहीं बल्कि हमारे सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न अंग है.