सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर CVC की ओर से दायर रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. अब अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी. इससे पहले सुनवाई के दौरान अलोक वर्मा की तरफ से फली नरीमन और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की तरफ से मुकुल रोहतगी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए.
फली नरीमन ने बहस के दौरान कहा कि काम छीनने से पहले नियुक्ति कमेटी से मशविरा नहीं किया गया और न ही कोर्ट की इजाज़त ली गयी. वर्मा से निदेशक का काम छीनना ग़ैरक़ानूनी है. विपक्षी नेता के तौर नियुक्ति कमेटी के सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे की याचिका पर उनके वकील और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने भी अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि CVC और सरकार को आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है, यह आदेश ही ग़ैरक़ानूनी है. कॉमनकॉज संस्था की ओर दुष्यंत दवे ने अपनी दलील में भी आलोक वर्मा से काम छीनने को ग़लत ठहराते हुए कहा कि कानून में एक प्रक्रिया तय है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. यहां तक कि ट्रांसफ़र के पहले भी कमेटी से मशविरे की बात कही गई है.
सुनवाई के दौरान आलोक वर्मा के वकील और जज के बीच हुआ सवाल-जवाब- जस्टिस केएम जोसेफ- ‘मान लो कोई रंगे हाथ रिश्वत लेता पकड़ा जाता है तो उस स्थिति में क्या होगा? नरीमन- ‘ऐसे में कोर्ट से इजाज़त ली जाएगी. जस्टिस- ‘क्या ऐसे व्यक्ति को एक भी मिनट पद पर रहना चाहिए’. नरीमन- ‘लेकिन कोर्ट है उसके पास, जाएं’. इस पर सीजेआई रंजन गोगोई ने नरीमन से कहा कि अदालत पहले इस पर विचार करेगी कि क्या आलोक वर्मा से उनके अधिकार छीने जाने के लिए पैनल की मंजूरी अनिवार्य है या नहीं?
इसके अलावे नरीमन ने कहा कि पिछली सुनवाई पर ‘जवाब लीक’ होने के मामले में कोर्ट ने जो पूछा था, उससे उनके मुवक्किल (आलोक वर्मा) का लेनादेना नहीं. साथ ही एक पुराने आदेश का हवाला देते कहा कि कुछ भी कोर्ट में दाखिल होते ही सुनवाई पर आने तक प्रेस में उसे पब्लिश करने से रोकने पर विचार हो सकता है. जस्टिस कपाड़िया की संविधान पीठ ने पूर्व में फैसला दिया था कि प्रेस पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती लेकिन लंबित मामलों की रिपोर्टिंग को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है. कोर्ट उस फ़ैसले के आधार पर कोई आदेश देने पर विचार कर सकता है.
इस पर अंडमान ट्रांसफर किए गए अधिकारी AK बस्सी के वकील राजीव धवन ने नरीमन का विरोध किया तो कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर बहस की ज़रूरत नहीं, हम इस पर कोई आदेश नहीं दे रहे. साथ ही कोर्ट ने नरीमन से मेरिट पर बहस करने को कहा. ज्ञात है कि पिछली सुनवाई के दौरान CVC के सवालों पर वर्मा के जवाब को मीडिया में आने को लेकर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी और जस्टिस गोगोई ने आलोक वर्मा के बारे में छपी रिपोर्ट की प्रति नरीमन को देते हुए उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी.