वर्ष 2012 के बाद पहली बार जारी की गई ये तस्वीरें ‘नाइट लाइट्स’ कहलाती हैं. ये पिछले 25 सालों के दौरान हर दशक में जारी की जाती रही हैं. रात में ली जाने वाली पृथ्वी की सैटेलाइट तस्वीरों को नाइट लाइट्स कहा जाता है. नासा के वैज्ञानिकों की कोशिश है कि इन ‘नाइट लाइट्स’ की तस्वीरों को जल्दी-जल्दी अपडेट किया जाए. इससे मौसम की भविष्यवाणी और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में भी मदद मिल सकती है. नासा के गोड्डार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के वैज्ञानिक मिगुएल रोमन उस रिसर्च टीम का नेतृत्व कर रहे हैं, जो साफ़ और सटीक तस्वीरें उपलब्ध करा सकने वाले सॉफ्टवेयर बना रही है.
इस साल की तस्वीरों में चांद की रोशनी को हटा दिया गया है. नासा की टीम ने कुछ कोड लिखकर हर महीने सबसे साफ तस्वीरों को छांटा है. ये कम्पोज़िट तस्वीरें वीआईआईआरएस से मिले डाटा का नतीजा हैं. नासा के अनुसार, वीआईआईआरएस पहला ऐसा सैटेलाइट उपकरण है, जिससे रात के समय दिखने वाली रोशनी के सोर्स की सही जानकारी मिल सकती है.
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