श्रीलंका के पुराने बौद्ध मंदिर में PM मोदी ने की पूजा-अर्चना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीलंका के पुराने बौद्ध सीमा मलाका मंदिर के पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलन समारोह में शामिल हुए, मंदिर में पूजा-अर्चना की और पुष्प अर्पित किया. यह 120 साल से भी पुराने गंगारामया मंदिर का हिस्सा है. मंदिर के मुख्य भिक्षु ने PM की अगवानी की, मोदी के साथ श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे भी थे.
दीप प्रज्ज्वलन अंतरराष्ट्रीय बैसाख दिवस समारोह की पूर्व संध्या पर होनेवाली परंपरा है. प्रधानमंत्री मोदी और विक्रमसिंघे ने पवित्र गर्भगृह में दाखिल होकर संयुक्त रूप से दीप-प्रज्ज्वलन समारोह की शुरुआत की. कोलंबो के मशहूर बेरा झील के निकट स्थित गंगारामया मंदिर परिसर पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है. यह आराधना स्थल होने के साथ ही ज्ञान एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र भी है. मंदिर की वास्तु-कला में श्रीलंका, थाईलैंड, भारत और चीन के वास्तु-कला की मिश्रित झलक है.
इसके पहले प्रधानमंत्री मोदी के कोलंबो पहुंचने पर हवाईअड्डे पर श्रीलंकाई प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे, विदेश मंत्री मंगला समरवीरा समेत कई वरिष्ठ मंत्रियों ने उनकी आगवानी की. कोलंबो पहुंचने पर अंगरेजी और श्रीलंकाई भाषा में अपने ट्वीट में मोदी ने कहा कि कोलंबो पहुंच गया हूं. श्रीलंका आकर खुश हूं, जहां मैं बैसाख दिवस समारोह में हिस्सा लूंगा.
इस दो दिवसीय यात्रा के दौरान वह बौद्ध धर्म के अनुयायियों के सबसे बड़े उत्सव अंतरराष्ट्रीय बैसाख दिवस समारोह में भाग लेंगे, भारतीय सहयोग से बने डिकोया अस्पताल का उद्घाटन करेंगे और भारतीय मूल के तमिल समुदाय को संबोधित करेंगे. इसके अलावा वह कई अन्य कार्यक्रमों में भी शिरकत करेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका की यात्रा से कुछ ही घंटों पहले फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, ‘यह दो वर्ष में वहां की मेरी दूसरी यात्रा होगी जो हमारे मजबूत संबंध का संकेत है. श्रीलंका की उनकी यात्रा दोनों देशों के बीच ‘मजबूत संबंधों’ का एक प्रतीक है और यह बौद्ध धर्म की साझा विरासत को सामने लाती है. यात्रा के दौरान मैं कोलंबो में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय बैसाख दिवस समारोह में शिरकत करूंगा जहां मैं बौद्ध धार्मिक नेताओं, विद्वानों और धर्मशास्त्रियों से वार्ता होगी. राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना और प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के साथ इन समारोहों में शामिल होना मेरे लिए सम्मान की बात है. वर्ष 2015 में उनकी पिछली यात्रा में उन्हें सदियों से बौद्ध धर्म के अहम केंद्र और यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल अनुराधापुर जाने का अवसर मिला था.