वस्तु एवं सेवा कर को संवैधानिक मंजूरी प्राप्त पहला संघीय अनुबंध करार देते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि यह ऐतिहासिक एवं क्रांतिकारी विधेयक है और जीएसटी परिषद पहला संघीय संस्थान है. जेटली ने कहा कि उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त कर का भार नहीं डालते हुए जीएसटी के माध्यम से देश में ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की प्रणाली लागू करने का मार्ग प्रशस्त होगा. वित्त मंत्री अरूण जेटली ने लोकसभा में जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (सी जीएसटी बिल), एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (आई जीएसटी बिल), संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी जीएसटी बिल) और माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017 को सर्वसम्मति से पारित करने की जरूरत बताई ताकि देश में ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की व्यवस्था को लागू किया जा सके.
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद कर ढांचे को सर्वसम्मति से तय कर रही है और इस बारे में अब तक 12 बैठकें हो चुकी हैं. यह विधेयक केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझी सम्प्रभुत्ता के सिद्धांत पर आधारित है और यह ऐसी पहली पहल है. जीएसटी लागू होने के बाद वस्तु एवं जिंस की कीमतों में वृद्धि की आशंकाओं को खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कर की दरें वर्तमान स्तर पर रखी जायेंगी ताकि इसका मुद्रास्फीति संबंधी प्रभाव नहीं पड़े. उन्होंने कहा, ‘यह संवैधानिक मंजूरी प्राप्त पहला संघीय अनुबंध है. यह ऐतिहासिक एवं क्रांतिकारी विधेयक है. जीएसटी परिषद सही मायने में पहला संघीय संस्थान है. इसमें केंद्र ने अपनी सम्प्रभुत्ता रखी है, इसमें राज्यों ने अपनी सम्प्रभुत्ता रखी है. इसके साथ केंद्र-राज्य संबंध के नाजुक तार को कायम रखा गया है.’ लोकसभा में इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, कई वरिष्ठ मंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आदि मौजूद थे. जीएसटी के लागू होने पर केन्द्रीय स्तर पर लगने वाले उत्पाद शुल्क, सेवाकर और राज्यों में लगने वाले मूल्य वर्धित कर (वैट) सहित कई अन्य कर इसमें समाहित हो जायेंगे.

 11 Views

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *