मोदी द्वारा PAK को अलग-थलग करने की रणनीति सफल हो रही है
भारत और पाकिस्तान के बीच तल्ख रिश्ते के बीच भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी डिप्लोमेसी में सफल हो रहा है. इसका वैश्विक असर दिखना शुरू हो चूका है, जो आन वाले समय में पाक के लिए एक बड़ी परेशानी का सबब बन सकता है.
मोदी के एग्रेसिव डिप्लोमेसी से पाक के दो और पड़ोसी देश ईरान और अफगानिस्तान भी खुलकर उसके विरुद्ध आ गए हैं. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान अलग-थलग पड़ता दिखाई देने लगा है. एलओसी पर सीजफायर उल्लंघन के मामलों, कश्मीर में बढ़े आतंकी हमलों और कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा को लेकर उसके दुस्साहसिक करवायी से इसे बल मिला है.
कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाए जाने के मामले में पाकिस्तान को इंटरनेशनल कोर्ट (ICJ) से करारा झटका लगा है. फांसी की सजा पर ICJ ने रोक लगा दी है और इस मामले पर 15 से सुनवाई शुरू होगी. जाधव के काउंसलर एक्सेस की भारत की 15 अपील को पाकिस्तान ने खारिज कर दिया. पाकिस्तान के अलग-थलग होने को इससे भी बल मिल रहा है.
अमेरिका जैसे उसके शक्तिशाली मित्र देश भी आतंकवाद के मामले में पाकिस्तान को घेरने लगे हैं. भारत की यात्रा पर हाल में आए अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार ने पाकिस्तान को परोक्ष युद्ध बंद करने की स्पष्ट नसीहत दी थी. बुधवार को अमेरिकी सांसद और हाउस डेमोक्रेटिक कॉकस के अध्यक्ष जो क्राउली ने पाकिस्तान को आगाह किया है कि अगर भारत के सैनिकों और उसके नागरिकों पर हमले होते रहे तो वह चुप नहीं बैठेगा. इसके साथ ही उन्होंने इस्लामाबाद से उसकी जमीन पर सक्रीय कट्टरपंथी ताकतों पर ठोस कार्रवाई करने की मांग की है. क्राउली ने डोनाल्ड ट्रंप सरकार से भी इस मामले में पाकिस्तान पर ज्यादा दबाव बनाने की पुरजोर मांग की है.
पाकिस्तान के एक और पड़ोसी देश ईरान ने पाकिस्तान की धरती से फैलाए जा रहे आतंकवाद को लेकर पहली बार पाकिस्तान को सीधे धमकी दी है. ईरान ने पाकिस्तान को आतंकियों को काबू में रखने की हिदायत देते हुए कहा कि ऐसा नहीं होने पर ईरान के सैनिक पाकिस्तान में घुसकर कार्रवाई करेंगे.
पाकिस्तान के एक अन्य पड़ोसी अफगानिस्तान के बॉर्डर पर भी पाकिस्तानी सैनिकों के साथ मुठभेड़ चरम पर चल रही है. पाकिस्तानी सेना ने दावा भी किया कि बॉर्डर पर पाकिस्तान के एक्शन में 50 अफगान सैनिक मारे गए हैं. इन सब के बीच अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान यात्रा का आमंत्रण ठुकरा दिया है. इससे पहले पिछले साल सार्क बैठक के बहिष्कार की भारतीय अपील पर भी अफगानिस्तान ने पाकिस्तान में सार्क बैठक का बहिष्कार कर दिया था.
पिछले साल उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन के बहिष्कार का निर्णय किया था. जिसके बाद सार्क के बाकी सदस्य देशों ने भी पाकिस्तान में होने वाली इस बैठक से दूरी बना ली और पाकिस्तान को सम्मेलन रद्द करना पड़ा था. स्पष्टतया क्षेत्रीय ताकतों ने आतंकवाद पर भारत की चिंताओं का समर्थन किया.
पिछले हफ्ते भारत ने सार्क देशों के लिए 450 करोड़ की लागत से सैटेलाइट लॉन्च किया था. इसमें पाकिस्तान को शामिल नहीं किया गया. बांग्लादेश, अफगानिस्तान, नेपाल श्रीलंका समेत तमाम देशों ने सार्क सैटेलाइट को क्षेत्रीय विकास के लिए भारत का बड़ा कदम बताया. यहां तक कि चीनी मीडिया ने भी चीन को इस परियोजना से जोड़ने की मंशा जताई थी.