भारत में बन रहा है 70 मंजिल वाला दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर
भारत आज दुनिया में किसी भी देश के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की रेस में शामिल होता जा रहा है। वो दिन दूर नहीं, जब भारतीय संस्कृति को एक बार फिर से पूरी दुनिया को स्वीकार करना पड़ेगा।
भारतीय संस्कृति की जड़ें विदेशों में भी हैं और वहां कई हिन्दू मंदिर इस बात के सुबूत हैं। लेकिन आपको यह भी जानना चाहिए कि भारत में भी एक मंदिर बन रहा है जो दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर होगा। हम बात कर रहे हैं चंद्रोदय मंदिर के बारे में जो मुकेश अंबानी के एंटीलिया से भी ऊंचा और सुविधाओं वाला बन रहा है।
इस मंदिर की ऊंचाई 210 मीटर (70 मंजिल) होगी, जबकि मुकेश अंबानी का एंटीलिया 27 मंजिल का है। कुतुब मीनार की ऊंचाई के लगभग बराबर चंद्रोदय मंदिर के पिलर की गहराई है।
पिछले दो साल से 511 पिलर बनने का काम चल रहा है। यह 55 मीटर जमीन में गहरी है। पिलर का काम पूरा होने के बाद 12 मीटर ऊंचा बेस बनाया जाएगा। यह भी जमीन के भीतर ही होगा, जबकि कुतुब मीनार की लंबाई 73 मीटर है। इसके बाद इमारत शुरू होगी।
निर्माण कार्य वर्ष 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है। दुबई के बुर्ज खलीफा इमारत की गहराई मात्र 25 मीटर है। वहां पर इतनी ही गहराई पर पत्थर मिल जाते हैं, लेकिन मथुरा में 75 मीटर गहराई के बाद भी पत्थर नहीं मिले। यहां पर रेत और मिट्टी के लेयर मिले। इस वजह से चंद्रोदय मंदिर की नींव को 55 मीटर गहरा बनाने का फैसला किया गया।
बिल्डिंग की उम्र 500 साल तय की गई है। इसके कांक्रीट व सरिया को इतने साल तक नुकसान नहीं होगा। सरिया को अहमदाबाद में हॉट डिप जिंक कोटिंग करवाई जा रही है, ताकि मिट्टी व भूजल में मौजूद क्लोरीन इसे नुकसान न पहुंच सके।
चंद्रोदय मंदिर परिसर में 50 एकड़ जमीन पर कई हेलीपैड बनेंगे। (मुकेश अंबानी की बिल्डिंग एंटीलिया में तीन हेलीपैड हैं)। पूरे मंदिर परिसर की क्षमता व्यस्त समय में पांच लाख लोगों की होगी। पूरी बिल्डिंग में 511 पिलर होंगे। इन पर पूरी बिल्डिंग का वजन 5 लाख टन होगा, जबकि ये पिलर 9 लाख टन वजन सह सकते हैं।
टॉप फ्लोर पर व्यूइंग गैलरी होगी। यहां पर टेलिस्कोप लगा होगा। इससे जन्मस्थान, गोवर्धन पर्वत आदि ब्रज के धार्मिक स्थल देखे जा सकेंगे। चंद्रोदय मंदिर पिरामिड का विकसित रूप होगा। निर्माण कार्य में सभी धर्म के लोगों की बराबर भागिदारी है। इसके लीड आर्किटेक्ट सिख धर्म से जुड़े जेजे सिंह हैं, जबकि अमेरिकन कंपनी के स्ट्रक्चलर आर्किटेक्ट एक मुस्लिम हैं। लिफ्ट डिजाइन करने वाले इंजीनियर ईसाई हैं।
200 साल में पहली बार मंदिर का आर्किटेक बदला हुआ दिखेगा। इतनी अवधि में अभी तक मंदिर आधुनिक तरीके से नहीं बनाया गया है। चंद्रोदय मंदिर के मुख्य भवन के निर्माण में पांच सौ करोड़ रुपए खर्च होंगे। 150 करोड़ रुपए व्यय से अंडरग्राउंड पार्किंग बनेगा।सड़क निर्माण में 50 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
लिफ्ट हाई स्पीड तैयार की जा रही है। यह एक सेकेंड में 8 मीटर (दो मंजिल) की रफ्तार से चलेगी। 170 किलोमीटर की रफ्तार का तूफान झेलने के दौरान बिल्डिंग के एक मीटर झुक जाने पर भी लिफ्ट सीधी चलती रहेगी। इसकी गति और दिशा में परिवर्तन नहीं होगा।
18 एकड़ में 12 वनों के प्रतिरूप होंगे और कृत्रिम यमुना बनेगी। इसमें लोग वोटिंग और कृष्ण की लीलाओं के बारे में जानकारी ले सकेंगे। यहाँ लोगों को वास्तविक वनों की अनुभूति होगी। 12 वनों में तालवन (खजूर के वन), भांदिवन (वट वृक्ष वन), वृंदावन (तुलसी का वन), निधिवन आदि प्रमुख होंगे। मुख्य चंद्रोदय मंदिर के अंदर तीन मंदिर होंगे। पहला मंदिर चैतन्य महाप्रभु का होगा। दूसरा, मंदिर राधाकृष्ण और तीसरा मंदिर कृष्ण व बलराम का होगा।
ये मंदिर जमीन से 12 मीटर की ऊंचाई (चार तल के बराबर की ऊंचाई) होगा। सामान्य दिनों में इन तीन मंदिर की कैपेसिटी 15 हजार लोगों की होगी, जबकि शनिवार व रविवार को 35 हजार लोग से ज्यादा भी यहां पर एक साथ रह सकते हैं। यहाँ 3500 वाहनों की पार्किंग कैपेसिटी होगी। मंदिर परिसर में 10 एकड़ में अंडरग्राउंड दो तल की पार्किंग बिल्डिंग होगी। पहली बार धार्मिक रूप से ग्रीन बिल्डिंग होगी।
जिस जगह मंदिर बन रहा है वह सुनरक क्षेत्र के पास है। 5 हजार साल पहले यहां पर कालिया नाग का वास था। उसके विष की वजह से मीलों दूर तक मिट्टी बंजर हो गई थी। आज भी यहां सरसो के अलावा कोई फसल नहीं होती है। जल प्रदूषित है। पेड़ कम हैं। इसके बावजूद यहां पर वैज्ञानिक तरीके से वन लगाए जाएंगे।
मंदिर के नीचे इंडोर कृष्ण लीला पार्क होगा। यहां पर ब्रज का सांस्कृतिक कार्यक्रम, इंडियन फिलॉसफी पर रिसर्च, लाइब्रेरी आदि होंगे। इस कृष्ण लीला पार्क में 4D तरीके से भगवान कृष्ण के लीलाओं के बारे में बताया जाएगा, इससे यहां मौजूद लोगों को महसूस होगा कि कृष्ण की लीलाएं उनके आस-पास ही हो रही है। इसी पार्क में सारे लोकों के दर्शन होंगे। इनमें भूलोक, स्वर्गलोक, वैकुंठ लोक, गोलोक धाम का काल्पनिक स्वरूप देखने को मिलेगा। चंद्रोदय मंदिर बिल्डिंग में एक हजार लोगों की कैपेसिटी का ऑडिटोरियम होगा। चंद्रोदय मंदिर का विंड प्रेशर का विश्लेषण आरडब्ल्यूएडीए कंपनी ने किया है। इसी कंपनी ने दुबई के बुर्ज खलीफा प्रोजेक्ट पर भी काम किया है। IIT रुड़की ने मंदिर की जगह पर अधिकतम भूकंप आने की संभावना का रिसर्च किया है। भूकंप के लिहाज से यह क्षेत्र जोन 4 में आता है। इस मंदिर को आठ रिक्टर स्केल से ज्यादा भूकंप सहने की क्षमता का बनाया जा रहा है।
किसी भी मंदिर में अब तक ग्लास का इस्तेमाल नहीं हुआ है। चंद्रोदय ऐसा पहला मंदिर होगा, जिसमें बड़े पैमाने पर ग्लास का प्रयोग किया जाएगा। ये ग्लास गर्मी को मंदिर के अंदर नहीं आने देंगे। भूकंप या तूफान के दौरान ग्लास नहीं टूटेंगे। ग्लास के बीच में बेहद छोटी लेयर होगी। यहां से बिल्डिंग का मामूली झुकाव तो होगा, लेकिन ग्लास नहीं झुकेगा। ताज़ा अपडेट पाने के लिए हमारे पेज को लाइक करें