भारतीय रिजर्व बैंक ने पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक बकायेदारों के बारह बैंक खातों की पहचान कर ली है, जिनमें बैंकों के कुल फंसे कर्ज का 25 प्रतिशत बकाया है. इनसे बकाये की वसूली के लिए IBC के तहत किसी भी समय कारवाई प्रारम्भ हो सकती है. बैंकों के फंसे कर्ज की समस्या का समाधान करने की दिशा में भारतीय रिजर्व बैंक ने कारवाई तेज कर दी है. इस दिशा में चल रही कारवाई के तहत केंद्रीय बैंक ने 5,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाए वाले 12 बैंक खातों की पहचान कर ली है. इन खातों में बैंकों के कुल फंसे कर्ज का 25 प्रतिशत बकाया है. केंद्रीय बैंक इन खातों से बकाये की वसूली के लिए बैंकों को दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत कारवाई करने के लिए कह सकता है. रिजर्व बैंक ने कहा है कि ये 12 बैंक खाते दिवाला कानून के तहत तुंरत कारवाई के लिए उपयुक्त हैं. केंद्रीय बैंक ने इन खाताधारकों के नाम नहीं बताए हैं. रिजर्व बैंक ने एक आंतिरक सलाहकार समिति बनाई है. यह समिति रिजर्व बैंक को उन मामलों के बारे में सलाह देती है, जिनमें दिवाला कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है. देश का समूचा बैंकिंग सेक्टर इस समय फंसे कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है. उनके करीब 8 लाख करोड़ रुपये की राशि कर्ज में फंसी है. केंद्रीय बैंक के अनुसार आंतरिक परामर्श समिति (IAC) खातों को IBC के तहत समाधान के लिए संदभर्ति किए जाने के लिए उद्देश्यपरक और गैर-भेदभावकारी मानदंडों पर पहुंची है. IAC ने 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के बकाये तथा 31 मार्च, 2017 तक बैंकों द्वारा 60 प्रतिशत या उससे अधिक राशि को NPA घोषित खातों के मामले में IBC के अंतर्गत कदम उठाने की सिफारिश की है. IAC के मानदंडों के तहत सकल NPA में करीब 25 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले 12 खाते IBC के तहत तत्काल कदम उठाये जाने के योग्य हैं.
रिजर्व बैंक IAC की सिफारिशों के आधार पर IBC के तहत शोधन कार्रवाई के लिए बैंकों को निर्देश जारी करेगा. राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) भी ऐसे मामलों को प्राथमिकता देगा. दूसरे गैर-निष्पादित खातों के मामले में IAC ने सिफारिश की है कि ऐसे मामलों में बैंकों को छह माह के भीतर समाधान योजना तैयार करनी होगी. ऐसे मामले जहां छह माह के भीतर समाधान योजना पर सहमति नहीं बनती है, वहां बैंकों को दिवाला कानून के तहत शोधन अक्षमता कार्रवाई शुरू करनी होगी. भारतीय रिजर्व बैंक इसके अलावा NPA की परिभाषा में भी कुछ राहत देने पर विचार कर रहा है. उसकी NPA वर्गीकरण की अवधि को 90 दिन से आगे बढ़ाने की योजना है. मौजूदा व्यवस्था के तहत कोई भी कर्ज का खाता उस समय एनपीए में परिवर्तित हो जाता है जब उसकी किस्त और ब्याज का भुगतान 90 दिन तक नहीं किया जाता है. इससे लघु एवं मध्यम उद्योगों को राहत मिलने की उम्मीद है.

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