12 वर्षीय काव्या विग्नेश एक ऐसे रोबोट बनाने के अंतिम चरण में पहुँच चुकी है जो आबादी वाले क्षेत्रों में मधुमक्खियों को सुरक्षा प्रदान करेगाl काव्या अगले महीने डेनमार्क में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय रोबोटिक्स महोत्सव में अपने इस रोबोट को पेश करने वाली हैl काव्या रोबोटिक्स के क्षेत्र में आयोजित दुनिया की प्रतिष्ठित प्रतिस्पर्धा ‘फर्स्ट लेगो लीग’ के लिए क्वालिफाई करने वाली भारत की सबसे युवा टीम की सदस्य हैl वसंत कुंज स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल में कक्षा सात में पढ़ने वाली 12 वर्षीय काव्या इन दिनों एक ऐसा रोबोट बनाने के अंतिम पड़ाव पर हैं जो रिहयाशी इलाकों में मधुमक्खियों को सुरक्षा प्रदान करेगाl अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने को लेकर बेहद उत्साहित काव्या के अनुसार उसके जीवन का उद्देश्य रोबोटिक्स की शक्ति का उपयोग दुनिया की समस्याओं के समाधान निकालना है और नौ साल की उम्र से ही रोबोटिक्स में मेरी रुचि रही हैl काव्या पिछले तीन वर्षो के दौरान दिल्ली रिजनल रोबोटिक्स चैम्पियनशिप का खिताब दो बार (2015, 2016) जीत चुकी हैl काव्या द्वारा विकसित किया जा रहा रोबोट ‘बी सेवर बॉट’ पहले हटाए जाने वाले मधुमक्खी के छत्ते का स्कैन कर पता लगाता हैl उसके बाद रोबोट एक एनक्लोजर तैयार कर बिना एक भी मधुमक्खी या किसी मनुष्य को नुकसान पहुंचाए उस मधुमक्खी के छत्ते को नजदीकी मधुमक्खी पालन केंद्र पहुंचा देता हैl आरहुस विश्वविद्यालय, आरहुस स्कूल ऑफ मराइन एंड टेक्निकल इंजिनीयरिंग एंड आईटी-फोरम के सहयोग से फर्स्ट स्कैंडिनेविया फाउंडेशन अगले माह डेनमार्क के आरहुस शहर में फर्स्ट लेगो लीग का आयोजन कर रहा हैl इस प्रतिस्पर्धा में दुनियाभर से 100 टीमें एक हजार बच्चों के साथ हिस्सा ले रहे हैंl ये बच्चे रोबोटिक्स में अपनी कुशलता, संरचना, प्रोग्रामिंग और नवाचारों में तो प्रतिस्पर्धा करेंगे ही, साथ ही अपनी-अपनी संस्कृतियों और मूल्यों को भी साझा करेंगेl
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