प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंपारण आंदोलन के सौ साल पूरे होने पर कहा कि वो असल मायने में सच्चे स्वच्छाग्रही थे। बापू ने स्वच्छता की ताकत को पहचान लिया था। बापू कहते थे कि स्वच्छता आजादी से कहीं ज्यादा महत्व रखती है। चंपारण आंदोलन में सत्याग्रह, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण का अमृत मिला। मोदी ने नेशनल आर्काइव्स में कहा कि गांधी जी जब चंपारण गए थे तो उनका इरादा वहां ज्यादा रुकने का नहीं था, लेकिन जब गए तो लम्बे समय रुके। यहीं से उन्हें सत्याग्रह की ताकत का अहसास हुआ था। मजिस्ट्रेट ने जब उन्हें चंपारण छोड़ने को कहा था तब उन्होंने कहा था कि वो ऐसा अपनी आत्मा की आवाज पर कर रहे हैं। गांधी जी ने कहा था- मैं जेल जाने को तैयार हूं। लोग सोच रहे थे कि कैसे साउथ अफ्रीका से आया एक इंसान जेल जाने को तैयार हो गया है। इस दौरान गांधी लोगों की सोच को जगा रहे थे। गांधी खुद को खपाकर लोगों से जुड़े और लोगों को जोड़ रहे थे। PM ने कहा कि गांधीजी कहते थे “मेरा जीवन ही मेरा दर्शन है”। गांधी ने लोगों को सिखाया कि परिवर्तन हो सकता है, और हम मिलकर ऐसा कर सकते हैं। हम 20वीं सदी के गांधी को 21वीं सदी में लेकर चलेंगे तो बापू को सच्ची कार्यांजलि दे सकते हैं। हमें उनके सपनों का भारत बनाना है। मोदी ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान बापू के सपनों को पूरा करने का आंदोलन है। मैंने जब लालकिले से इसका एलान किया था तो लोग कह रहे थे कि ये ऐसी बात क्यों कह रहे हैं। इसी का नजीता है कि अब देश के राज्यों में कॉम्पिटीशन है कि कौन पहले खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित करें। गंगा तट के किनारे ये अभियान के तौर पर चल रहा है। जिन पांच राज्यों से गंगा गुजरती है। वहां के 75 फीसदी गांवों ने खुद को खुले में शौच से मुक्त कर दिया है। बच्चों के सिलेबस में स्वच्छता के चैप्टर शामिल किए जा रहे हैं।
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