लखनऊ के पेट्रोल पंपों पर डिवाइस और चिप लगाकर पेट्रोल चोरी के गोरखधंधे का खुलासा एसटीएफ, जिला प्रशासन और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में हुआ। इस टीम ने एक साथ कई फीलिंग स्टेशनों पर छापेमारी की। छापेमारी के दौरान वितरण में इस्तेमाल होने वाली डिस्पेंसर यूनिट और फ्यूल टैंक में डिवाइस लगाकर प्रति लीटर 25 से 100 मिलीलीटर तक पेट्रोल-डीजल की चोरी होने की बात सामने आयी। इस कार्रवाई से लखनऊ के तमाम पेट्रोल पंपों पर हड़कंप मच गया। वहीं छापेमारी के दौरान पंपों पर लोगों की भारी भीड़ जुट गई। पंप पर मौजूद तेल कंपनियों द्वारा अधिकृत नपने से कराई गई जांच के दौरान पांच लीटर वितरित पेट्रोल साढ़े चार लीटर ही निकला। तौल में आधे लीटर की इस कमी का कारण पूछने पर पंप पर मौजूद कर्मचारी से लेकर मैनेजर तक किसी ने कोई जानकारी नहीं दी। टीम की सख्ती के बाद कुछ पंप पर मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि बीते एक साल से तौल में अलग-अलग सेटिंग के आधार पर लगी रिमोट डिवाइस से वितरण के दौरान बस बटन दबाते ही घटतौली हो जाती थी। जबकि डिस्पेंसर यूनिट में दर्शाई जाने वाली माप वाहन चालक को पूरी तरह दुरुस्त दिखती थी। एसटीएफ, पुलिस और जिला प्रशासन की टीम द्वारा पेट्रोल पंपों पर छापेमारी के दौरान पेट्रोल पंप संचालकों का गोरखधंधा सामने आया। एक तरफ जहां चिप लगाकर ग्राहकों को कम पेट्रोल दिया जा रहा है वहीं तेल कंपनियों के टैंकरों में भी सेंधमारी की जा रही है। 40 से 45 रुपया प्रति लीटर की लागत से तैयार होने वाले इस नकली पेट्रोल डीजल को खपाने के लिए तेल कंपनियों के टैंकर चालकों से भी पूरी सेटिंग होती है। कंपनी से पेट्रोल डीजल की उठान को पेट्रोल टंकी तक पहुंचाने वाले टैंकर चालकों को एक तय राशि का लालच देकर बीच रास्ते में पड़ने वाले ढाबे या सन्नाटे वाले इलाके में टैंकर में लोड पेट्रोल डीजल में से दो से तीन सौ लीटर तक की चोरी कर इसकी भरपायी नकली तौर पर तैयार पेट्रोल-डीजल को मिलाकर कर दी जाती है। बाद में टैंकरों के माध्यम से यही नकली पेट्रोल डीजल युक्त ईधन कस्टमरों को बेचा जाता है जिसका प्रयोग वाहनों के इंजन को खराब करता है। धंधेबाज कंपनी के टैंकरों से चोरी असली पेट्रोल-डीजल में नकली तैयार ईधन मिला कर इसे बाजार दर पर खपा कर अपना जेब भरते हैं।
loading…
Loading…

 8 Views

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *