बिहार में गया जिले के मानपुर में दस हजार की आबादी वाले बुनकरों की बस्ती पटवा टोली देशभर में अपनी एक अलग पहचान रखती है, कारण है 1992 से अबतक 25 वर्षों में यहाँ के 300 से अधिक बच्चे IIT परीक्षा पास कर इंजीनियर बन चुके हैं। पटवा टोली हर साल IIT JEE एडवांस्ड परीक्षा परिणाम आने के बाद चर्चा में रहती है। इस साल भी पटवा टोली के 20 छात्र इस परीक्षा में पास हुए हैं। बुनकरों के इस गांव में सर्वप्रथम 1992 में जीतेंद्र प्रसाद ने IIT परीक्षा उतीर्ण की थी, वो 2000 में नौकरी करने अमेरिका चले गए। उनकी कामयाबी और प्रोत्साहन ने पटवा टोली के तमाम छात्रों में इंजीनियर बनने की इच्छा पैदा कर दी। आज यहाँ के कई लोग देश-विदेश में जॉब कर रहे हैं। पटवा टोली के पूर्व इंजीनियरिंग छात्रों ने मिलकर “नव प्रयास” नाम से एक संस्था बनाई है जो IIT की परीक्षा देने वाले तमाम छात्रों को पढ़ाई में निःशुल्क मदद करती है। पटवा टोली में पावरलूम का काम होता है, जिससे यहां शोर काफी अधिक होता है। परन्तु यहाँ के छात्रों का कहना है कि उन्हें शोर से कोई परेशानी नहीं होती। क्योंकि उनका मन सिर्फ पढ़ाई करने में लगा रहता है। पटवा टोली में किसी ने मजदूरी कर तो किसी ने दूसरे के पॉवरलूम में बुनकर का काम कर अपने बेटे को पढ़ाया है। कई परिवार खुद भूखे रहकर भी अपने बेटे को पढ़ाते हैं। पूरा टोला अपने बच्चों के प्रदर्शन से काफी खुश नजर आता है। कुछ पति- पत्नी दोनों ही पॉवरलूम में मजदूरी करते हैं ताकि बेटा ठीक से पढ़ सके। कई लोग ट्यूशन फीस और किताबों के लिए ओवरटाइम भी करते हैं।
इस वर्ष JEE एडवांस्ड परीक्षा पास करने वाले सन्नी कुमार, केदार नाथ, विनित कुमार, रंजन कुमार, कृष्णा कुमार, डॉली राज, गौतम राज, रंजीत कुमार, अभय कुमार, राहुल कुमार, रौशन कुमार, चेतन कुमार, अंकित कुमार, अमर कुमार, बब्लू कुमार, गोपी कुमार, अमन कुमार, सरस्वती कुमारी, परमानंद कुमार और रंजीत कुमार कुल बीस छात्र हैं।

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