केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नक्सल समस्या से निपटने के लिये आठ सूत्रीय ‘समाधान’ सुझाने के साथ ही नक्सल प्रभावित राज्य सरकारों से इसे ‘लक्ष्य की एकता’ के रूप में स्वीकार कर लागू करने का अनुरोध किया.
केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और नक्सली हिंसा प्रभावित 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस समस्या से निपटने के तरीकों पर मंथन किया. यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब एक पखवाड़े पहले छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों के हमले में CRPF के 25 जवानों की मौत हो गई थी.
गृह मंत्री ने कहा कि समाधान सिद्धांत के तहत कुशल नेतृत्व, आक्रामक रणनीति, प्रोत्साहन एवं प्रशिक्षण, कारगर खुफियातंत्र, कार्ययोजना के मानक, कारगर प्रोद्यौगिकी, प्रत्येक रणनीति की कार्ययोजना और नक्सलियों के वित्तपोषण को विफल करने की रणनीति को शामिल करने की जरूरत है. साथ ही पिछली घटनाओं से सबक लेते हुये नक्सल विरोधी अभियानों को लागू करने में हर कदम पर आक्रामक कार्रवाई की जरूरत पर बल दिया.
उन्होंने कहा कि नक्सल समस्या से निपटने की नीति से रणनीति और सुरक्षा बलों की तैनाती, सड़क निर्माण सहित अन्य विकास कार्यों को पूरा करने तक आक्रामक होने की जरूरत है. सम्मेलन में पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हिस्सा लेने के लिये नहीं पहुंच सके. जबकि, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के अलावा अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुये.
सिंह ने नक्सल प्रभावित सभी राज्य सरकारों से नक्सली हिंसा के खत्मे को ‘‘साझा लक्ष्य’’ मानते हुये कार्ययोजना लागू करने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि ‘बंदूक के बल पर विकास को रोकने और लोकतंत्र का गला घोंटने’ के प्रयासों को विफल करने के लिए एकीकृत कमान का गठन कर साझा रणनीति को अपनाना होगा. उन्होंने मौजूदा रणनीति के तहत नक्सल विरोधी अभियानों में नक्सली ठिकानों का पता लगाने में मानवरहित विमानों (यूएवी) के कम इस्तेमाल का जिक्र करते हुये इसे बढ़ाने को जरूरी बताया.
महत्वपूर्ण बैठक से पहले CRPF की नक्सल रोधी रणनीतिक कमान का मुख्यालय कोलकाता से छत्तीसगढ़ स्थानांतरित किया गया. सात साल पहले ‘साजोसामान और संपर्क’ को वजह बताते हुये इसे रायपुर से कोलकाता स्थानांतरित कर दिया गया था. CRPF के नवनियुक्त महानिदेशक राजीव राय भटनागर को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि कल यहां होने वाले माओवाद प्रभावित राज्यों की उच्चस्तरीय बैठक से पहले कमान रायपुर में काम करना शुरू कर दे.
बैठक के पूर्व गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि मौजूदा समय में 90 प्रतिशत माओवादी गतिविधियां 35 जिलों में सिमट गयी हैं और 10 राज्यों के 68 जिलों में उनका प्रभाव है. बैठक में खुफिया तंत्र में सुधार, मौजूदा अभियानों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण, समस्याग्रस्त इलाकों की पहचान और बेहतर परिणामों के लिये समाधानों की मांग पर जोर दिये जाने की संभावना है. नक्सलियों के हमले में पिछले दो महीने से भी कम समय में सबसे ज्यादा प्रभावित छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ के करीब 37 जवानों की मौत हुई है.