दूसरों के घरों में बर्तन मांजने पड़ रहे हैं शहीद की बेटी को
जम्मू-कश्मीर में अर्ध-सैनिक बलों के जवान अपनी ड्यूटी निभाते समय देश के लिए शहीद हो जाते हैं लेकिन बाद में सरकारें व राजनीतिज्ञ उनके परिवारों से किए सभी वायदों को भूल जाते हैं और परिवार दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
ऐसा ही एक मामला जिला रूपनगर के गांव बुर्जवाला का है। जिले के गांव बुर्जवाला का एक जवान सी.आर.पी.एफ. में जम्मू-कश्मीर के पम्पोर क्षेत्र में ड्यूटी पर तैनात था और सरकारी सैन्य गाड़ी में अपने साथियों के साथ सुरक्षा ड्यूटी पर था।
उनके वाहन पर घात लगाकर किया गया था। इसमें हवलदार जगतार सिंह अपने साथियों के साथ शहीद हो गया। वह अपने पीछे पत्नी हरनीप कौर, बेटी जश्नप्रीत कौर, बेटा गुरमनवीर सिंह व पिता सौदागर सिंह (86) एवं माता महेन्द्र कौर (80) छोड़ गया है।
जवान की शहीदी के उपरांत पंजाब सरकार ने घोषणा की थी कि उनके गांव में एक यादगारी गेट बनाया जाएगा। जिस गांव के स्कूल में शहीद ने शिक्षा प्राप्त की, उस स्कूल में शहीद का बुत लगाया जाएगा। इसके अलावा 31 अक्तूबर को हर साल स्कूल में श्रद्धांजलि दी जाएगी और शहीदी दिवस मनाया जाएगा ताकि बच्चों को प्रेरणा मिल सके।
पंजाब सरकार ने परिवार को 12 लाख रुपए ग्रांट जारी करने का ऐलान किया था और इसके साथ ही घर में परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, बच्चों को नि:शुल्क विद्या, माता-पिता को बुढ़ापा पैंशन व परिवार का ऋण माफ करने आदि का ऐलान किया गया था।
जिलाधीश रूपनगर करनेश शर्मा द्वारा भी विशेष तौर पर एक लाख रुपए अनुदान जारी करने का ऐलान किया था परंतु दुख की बात है कि पंजाब सरकार ने दोबारा नहीं पूछा। अब शहीद की बेटी को दूसरों के घरों में बर्तन मांजने पड़ रहे हैं। परिवार का कहना है कि जब सरकार वादे पूरा करती ही नहीं है तो हमसे झूठ क्यों बोलती है।