प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक के मुद्दे पर कहा कि मुस्लिम समाज के लोग खुद इस लड़ाई के खिलाफ आगे आएं और इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुझे इस मामले में भारत की परंपरा पर पूरा भरोसा है. पीएम ने विस्वेश्वर जयंती के उपलक्ष्य में विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि समाज के हर वर्ग से आने वाली महिलाओं को उन्होंने अपने विचार व्यक्त करने का हक दिया. समाज के हर वर्ग से आई महिलाएं अपने विचार व्यक्त करती थीं. कई महिलाएं ऐसी भी होती थीं जिन्हें उस समय समाज में व्याप्त बुराइयों के तहत तिरस्कृत समझा जाता था लेकिन वैसी महिलाओं को भी अनुभव मंडप में अपनी बात रखने का पूरा अधिकार था. महिला सशक्तीकरण को लेकर उस दौर में ये कितना बड़ा प्रयास था हम अंदाज लगा सकते हैं, हमारे देश की विशेषता रही है कि बुराइयां आई हैं लेकिन उनके खिलाफ लड़ने का माद्दा भी हमारे भीतर ही पैदा हुआ है. मोदी ने कहा कि जिस समय राजा राममोहन राय ने विधवा विवाह की बात रखी होगी उस समय के समाज ने कितनी उनकी आलोचना की होगी लेकिन वो अड़े रहे, कि माताओं-बहनों के साथ ये घोर अन्याय है इसे दूर होना चाहिए इसलिए मैं कभी-कभी सोचता हूं कि तीन तलाक को लेकर आज इतनी बड़ी बहस चल रही है लेकिन भारत की महान परंपरा को देखते हुए मेरे मन में आशा का संचार हो रहा है कि इस देश में समाज के भीतर से ही ताकतवर लोग निकलते हैं जो अप्रसांगिक परंपराओं को तोड़ते हैं आधुनिक व्यवस्थाओं को विकसित करते हैं. मुस्लिम समाज से भी ऐसे प्रबुद्ध लोग पैदा होंगे, आगे आएंगे और मुस्लिम समाज की बेटियों पर जो गुजर रही है, जो बीत रही है उसके खिलाफ वो खुद लड़ाई लड़ेंगे और कभी न कभी खुद रास्ता निकालेंगे. मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान के ही प्रबुद्ध मुसलमान निकलेंगे जो दुनिया के मुस्लिमों को रास्ता दिखाने की ताकत रखेंगे. इस धरती की ये ताकत है. ये भारत की मिट्टी की ताकत है कि तीन तलाक के संकट से जूझ रही मुस्लिम समाज की महिलाओं को बचाने के लिए उसी समाज के लोग आगे आएंगे और मैं मुस्लिम समाज के लोगों से भी अपील करूंगा कि इस मसले को राजनीति में मत आने दीजिए. आप आगे आइए और समस्या का समाधान कीजिए. उस समाधान का आनंद कुछ और होगा आने वाली पीढ़ियों को उससे ताकत मिलेगी. पीएम ने कहा कि हर किसी का सम्मान हो, जाति प्रथा, छुआछूत जैसी बुराइयां न हों, सबको बराबरी का अवसर मिले यही भगवान विस्वेश्वर चाहते थे. उन्होंने हर मानव में भगवान को देखा था. उन्होंने कहा था कि ये शरीर एक मंदिर है जिसमें आत्मा ही भगवान है. समाज में ऊंचनीच का भेदभाव खत्म हो, श्रम का सममान हो, हर व्यक्ति का सशक्तीकरण हो ये सिद्धांत किसी भी समाज और लोकतंत्र के लिए मजबूत नींव की तरह है. पीएम ने कहा कि भगवान विस्वेश्वर कहते थे कि ये मत पूछो कि आदमी किस जाति और मत का है, बस ये कहो कि ये हमारा है. हम सबके बीच का एक है. इसी नींव पर एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण होता है. यही सिद्धांत राष्ट्र के लिए नीति निर्देशक का काम करते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि भारत की धरती पर 800 साल पहल इन विचारों को भगवान बसवेश्वर ने आधार बनाया था, इस सरकार के सबका साथ-सबका विकास के मंत्र में भी वही प्रतिध्वनि है. बिना भेदभाव इस देश के हर व्यक्ति का अपना घर होना चाहिए. हर किसी को 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए. हर गांव में सड़क, किसान को बीमा, खाद, पानी मिले यही तो है सबका साथ सबका विकास और ये देश में बहुत आवश्यक है सबको साथ लेकर, सबके प्रयास से सबका विकास किया जा सकता है.
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