एक ओर आज जहां पूरे देश में विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा और अराधना की जा रही है वही बिहार सहित देश में कई ऐसे अखबारी संस्थान हैं जहां ज्ञान और विद्या की देवी का प्रवास तो रहता है पर उनकी पूजा नहीं की जाती बल्कि धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
ऐसे संस्थान हैं देश भर के अखबारों (समाचार पत्रों) के दफ्तर जहां कभी भी सरस्वती पूजा नहीं होती जबकि यहां कार्यरत कर्मी और पत्रकारों व संवाददाताओं पर मां सरस्वती की ही कृपा रहती है…। ऐसे संस्थानों में मां सरस्वती मानों सालों भर सिर्फ बंधक बनकर रहती हैं। अखबारी संस्थानों में जहां लक्ष्मी पूजा धूमधाम से मनायी जाती रही है और लक्ष्मी पूजा के दिन छूट्टी भी घोषित रहती है वहीं ज्ञान की देवी सरस्वती पूजा न तो अखबारों के दफ्तर में मनायी जाती है न ही अवकाश ही घोषित रहता है। आखिर जहां ज्ञान और विद्या का वास हो आखिर ऐसे दफ्तरों में मां सरस्वती का अपमान क्यो?
-विनायक विजेता