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ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पुरी के जगन्नाथ मंदिर के बीम में पड़ीं दरारों की मरम्मत के लिए केंद्र सरकार से मदद मांगी है। पटनायक ने कहा है कि मंदिर के बीम में दरारें पड़ गई हैं, जिनसे मंदिर के स्ट्रक्चर को खतरा हो सकता है। उन्होंने केंद्र से तुरंत आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के इंजीनियरों और टेक्निकल एक्सपर्ट की टीम भेजने को कहा है।
12 वीं सदी में बना जगन्नाथ टेंपल ओड़िशा का सबसे अहम तीर्थ स्थल है। पटनायक ने कल्चर मिनिस्टर महेश शर्मा को चिट्ठी लिखा है कि यह लोगों की आस्था से जुड़ा सब्जेक्ट है इसलिए मैं इस मुद्दे पर आपका ध्यान दिलाना चाहता हूं।उन्होंने बताया कि मंदिर के बाहरी हिस्से की मरम्मत के दौरान इस बात की इन्फॉर्मेशन मिली है कि मंदिर के चार मेन पिलर और आठ स्टोन बीम में दरार आ चुकी हैं।पटनायक ने केंद्र से रिक्वेस्ट की है वह जल्द से जल्द एएसआई के एक्सपर्ट की टीम भेजे जिससे मंदिर की मरम्मत का काम शुरु हो सके।
पटनायक ने कहा कि राज्य सरकार ने इसके लिए एक कोर कमेटी बनाई है जिसमें स्ट्रक्चरल इंजीनियर, एएसआई और जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के लोग शामिल हैं। यह कमिटी सजेशन देने का काम करेगी।राज्य सरकार के इंजीनियरों की टीम ने मंदिर के मेन भवन को देखने के बाद एक्स्ट्रा बीम डालने की सिफारिश की है।
जगन्नाथ मंदिर भगवान विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण का मंदिर है।मंदिर में श्रीकृष्ण, बलभद्र (बलराम) और कृष्ण की बहन देवी सुभद्रा की लड़की से बनी मूर्तियां स्थापित हैं।हर 14- 15 सालों में भगवान की मूर्तियों को बदल कर नई मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।मूर्तियां जिन पेड़ों की बनी होती हैं उन पेड़ों का खास तरह से चयन किया जाता है। जिनमें भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और सुदर्शन के चिन्ह बने होते हैं।मंदिर बंगाल की खाड़ी के पूर्वी छोर पर उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से 60 किलोमीटर की दूरी पुरी शहर में है।