गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करे सरकार, गौहत्या पर हो उम्रकैद : राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक जनहित अर्जी की सुनवाई के दौरान गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने और गोवंश हत्या की सजा बढ़ाकर आजीवन कैद किए जाने की बात कही है. मवेशियों की खरीद-फरोख्त के संबंध में केंद्र सरकार के नए नोटिफिकेशन पर मद्रास हाईकोर्ट द्वारा चार हफ्ते की रोक के आदेश के ठीक एक दिन बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को यह फैसला सुनाया है.
गाय की सुरक्षा को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में एक बहुचर्चित हिंगोनिया गौशाला मामले में सुनवाई चल रही थी. कोर्ट ने कहा कि गायों की हिफाजत राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार से गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करवाने के लिए राज्य सरकार प्रयास करे। साथ ही गोकशी करने वालों को आजीवन कारावास का प्रावधान कानून में शामिल करवाए।
हाईकोर्ट ने कहा कि जिस तरह से उत्तराखंड में गंगा को सजीव मानव का दर्जा दिया गया है उसी तरह गाय तो एक जीवित पशु है जिसके दूध से लेकर हर तरह के प्रोडक्ट्स लोगों के लिए जीवनदायी है.
राजस्थान हाईकोर्ट ने 7 साल बाद अपना फैसला सुनाया है। इस मामले की सुनवाई करने वाले मुख्य न्यायाधीश महेश चंद शर्मा ने अपने रिटायरमेंट के दिन बुधवार को अपना आखिरी फैसला सुनाते हुए कहा कि केंद्र से गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करवाने के लिए केंद्र सरकार के सामने पक्ष रखने के लिए मुख्य सचिव और महाधिवक्ता कार्यवाही करे। हाईकोर्ट ने इस मामले को लेकर कमेटी भी बनाने के निर्देश दिए।
हाईकोर्ट ने फैसले में कहा है कि हिंगोनिया गौशाला में भ्रष्टाचार की जांच ACB करे। कोर्ट ने ADJ को हर तीन महीने में गोशाला को लेकर रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने UDH सचिव और निगम आयुक्त सहित सम्बंधित अफसरों को महीने में एक बार गौशाला का दौरा करने के निर्देश दिए।
कोर्ट ने इस मामले में वन विभाग को गौशाला में हर साल 5 हजार पौधे लगाने को कहा है। साथ ही, अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पूर्व में दिए गए आदेशों की अनुपालना यथावत ही की जाए।
पिछले साल अगस्त महीने में राज्य की राजधानी जयपुर से मात्र 35 किमी दूर हिंगोनिया गौशाला से 500 गायों के मरने की खबर आई थी. इससे वसुंधरा सरकार की काफी किरकिरी हुई थी. वहीं, देश भर में कथित गोरक्षकों की हिंसा और हाल ही में पशु मंडियों में वध के लिए जानवरों की खरीद-बिक्री पर केंद्र सरकार के बैन के मद्देनजर हाई कोर्ट का यह फैसला बेहद अहम माना जा रहा है.
जजों की यह टिप्पणी ऐसे वक्त आई है जब पशु बाजार में मवेशियों की बिक्री पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है. इस पर केरल, पश्चिम बंगाल और पुद्दुचेरी की सरकारों ने केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन पर विरोध जताया है और इसे खाने पीने की आजादी पर हमला बोला है. ऐसा ही विरोध प्रदर्शन आईआईटी मद्रास में भी हुआ. जहां पर बीफ फेस्ट के आयोजन के बाद एक छात्र की जमकर पिटाई कर दी गई. ताज़ा अपडेट पाने के लिए हमारे पेज को लाइक करें