इस लड़की के हौंसले को सलाम, हाथ न होने पर भी हासिल की कामयाबी
कहते हैं अगर इरादा पक्का हो तो किसी भी हाल में सपनों को पूरा किया जा सकता है। महाराष्ट्र के गडचिरोली में दोनों हाथों के बिना जन्मी आंचल राउत के लिए जीवन जीना काफी कठिन था। लेकिन फिर भी वो हार नहीं मानीं। हर दिन उसके लिए एक इम्तिहान की तरह बिता, फिर भी वो हंसकर संघर्ष करती रही। 17 साल की आंचल ने अभी हाल ही में 12वीं की परीक्षा दी है और उसने साइंस स्ट्रीम से 63 प्रतिशत अंक अर्जित की है। परीक्षा के दौरान आंचल को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। दोनों हाथों की कमी के कारण भी आंचल का पढ़ाई से मन नहीं हटा। उसने अपने पैरों को हाथ बना लिया।
परीक्षा हाल में नियम के अनुसार आंचल को किसी तरह की मदद नहीं मिली, फिर भी उसने किसी तरह पैरों के सहारे परीक्षा दिया। कॉपी लिखने की अनुमति नहीं मिल, फिर भी उसने संभव को अ उसने पैरों के सहारे कापी लिखी। आंचल का कहना है कि वो आगे आईएएस की तैयारी करना चाहती है। उसका सपना है कि वो आईएएस अधिकारी बने।
बता दें कि आचंल के लिए मुश्किल सिर्फ इतना नहीं था कि उसके दोनों हाथ नहीं है. बल्कि उसके घर के हालात भी काफी अच्छे नहीं थे। आंचल जिस इलाके में रहती है वो नक्सली प्रभावित है। इस वजह से भी उसको पढ़ाई-लिखाई में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
विद्या भारती महाविद्यालय के प्रिंसिपल मुघाटे ने कहा, “आंचल को कॉलेज की तरफ से बस की सुविधा दी जाती है, उनका घर 40 मिनट की दूरी पर है। शुरुआत में जब उनके पिता दाखिले के लिए यहां आए थे तो हम काफी चिंतित थे कि वो कैसे पढ़ाई करेगी। क्योंकि उसके दोनों हाथ कामयाब नहीं थे। लेकिन आचंल ने हम लोगों को गलत साबित कर दिया। उसने वो कर दिखाया जो किसी को उम्मीद नहीं थी। आंचल कॉलेज में सारे छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा बन गई है।”ताज़ा अपडेट पाने के लिए हमारे पेज को लाइक करें