शहीद लेफ्टिनेंट उमर फयाज आज बेहद खुश होते। दरअसल, ऐसा इसलिए क्योंकि जम्मू और कश्मीर से करीब 11 लड़कों ने आतंकवाद का सामना करने के लिए भारतीय सेना का हाथ थाम लिया है। कश्मीर में आतंकवाद को करारा जवाब देने के लिए, आतंकवाग का नाम जड़ से खत्म करने के लिए शनिवार को ग्यारह लड़कों ने देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी से 479 अन्य छात्रों के साथ स्नातक कर अधिकारी बन गए हैं। अधिकारी बनने के साथ ही इन लड़कों ने प्रण किया है कि वह आतंकवाद का नाश कर देंगे। बता दें कि 2016 में सेना में काम करने वाले 23 साल के फयाज को दक्षिणी कश्मीर के शोपियां में 9 मई को आतंकियों ने मार गिराया गया था। आतंकियों ने उनकी हत्या तब की जब वह अपने चचेरे भाई की शादी में शामिल होने जा रहे थे। उस दौरान रास्ते से ही उनका अपहरण कर लिया था। अपहरण के बाद उनकी हत्य़ा कर दी गई थी। जिससे बाद कश्मीर में लोगों के बीच हंगामा मच गया था। आज पूरा कश्मीर आतंकवाद से घिर गया है। एक तरफ कुछ लोग ऐसे हैं जो आतंकवादियों से डरकर उनका मुकाबले नहीं कर पा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ फयाज को अपना रोल मॉल मानने वाले 11 लड़के सेना में भर्ती होकर आतंकवाद को करारा जवाब दिया है। सेना में शामिल हुए मोहम्मद सलमान ने कहा कि फयाज हम सबके लिए बेहद खास थे वह बहुत विनम्र थे और हमेशा मुस्कुराते रहते थे। कश्मीरी पंडित आशुतोष ने कहा, ‘जब मैंने फयाज की मौत के बारे में सुना था तो मैं बहुत डर गया था। लेकिन वहीं से मुझे आतंकियों से लड़ने की चाह हुई और आतंकवादियों को गिराने का मेरा संकल्प और मजबूत हो गया। मैं घाटी में तैनात होना चाहता था। सौभाग्य से मेरी यह इच्छा पूरी हो गई है।’ सेना के एक अन्य नए अधिकारी शाह नवाज के पिता मोहम्मद अशरफ ने कहा, ‘उमर फयाज की घटना के बाद, मैं अपने बेटे की सुरक्षा के बारे में चिंतित हूं, लेकिन जब वह अपने वतन के बारे में सोच रहा है तो मुझे पीछे नहीं हटना चाहिए मुझे अपने बेटे पर गर्व है। मुझे यकीन है कि सेना में शामिल होने होकर उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है जो जम्मू-कश्मीर से सेना में भर्ती होने के लिए अधिक से अधिक युवाओं को प्रेरित करेगा।

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